बसन्त पंचमी 2015, 24 जनवरी
Basant Panchami 2015, 24 January
बसन्त पंचमी का पर्व माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 24 जनवरी, 2015 में मनाया जायेगा. बसन्त पंचमी के दिन भगवान श्रीविष्णु, श्री कृ्ष्ण-राधा व शिक्षा की देवी माता सरस्वती की पूजा पीले फूल, गुलाल, अर्ध्य, धूप, दीप, आदि द्वारा की जा जाती है. पूजा में पीले व मीठे चावल व पीले हलुवे का श्रद्धा से भोग लगाकर, स्वयं इनका सेवन करने की परम्परा है.
बसन्त पंचमी पर्व का सरस्वती माता से संबन्ध
Vasant Panchami and Goddess Saraswati
माता सरस्वती बुद्धि व संगीत की देवी है. पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है. यह पर्व ऋतुओं के राजा का पर्व है. इन दिन से बसंत ऋतु से शुरु होकर, फाल्गुन माह की कृ्ष्ण पक्ष की पंचमी तक रहता है. यह पर्व कला व शिक्षा प्रेमियों के लिये विशेष महत्व रखता है.
एक किंवदन्ती के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने सृ्ष्टि की रचना की थी. यह त्यौहार उतर भारत में पूर्ण हर्ष- उल्लास से मनाया जाता है. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम ने माता शबरी के झूठे बैर खाये थे. इस उपलक्ष में बसन्त पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है.
बसन्त पंचमी की विशेषता
Significance of Basant Panchami
बसन्त पंचमी को जीवन की शुरुआत का दिन माना जाता है. यह दिन खुशियों के आगमन का दिन है. बसंत का मौसम बहार का मौसम होता है, इस माह में खेतों में चारों ओर पीली सरसों सबका मन मोह लेती है. गेंहू की बालियां सोने का रुप ले लह-लहाने लगती है. रंग- बिरंगी फूल खिलने लगते है. बसन्त पंचमी के दिन को रंगों, खुशियों के स्वागत के रुप में भी मनाया जाता है.
माघ माह की पांचवी तिथि को बसन्त पंचमी मनाई जाती है. इस दिन सरस्वती मां के अलावा भगवान विष्णु व कामदेव की भी पूजा- उपासना की जाती है. सभी छ: ऋतुओं में से बसन्त ऋतु सबसे अधिक मनमोहक होती है.
बसन्त पंचमी में पंतगंबाजी उत्सव
Basant Panchami: Festival of Flying kites
बसन्त पंचमी के दिन पूजा उपासना के साथ साथ पंतगबाजी के उत्सव भी आयोजित किये जाते है. इन उत्सवों में देश -विदेश से प्रतियोगी भाग लेते है. पंतग उडाने की परम्परा की शुरुआत चीन देश से हुई. पंतगबाजी उत्सवों में नई- नई व विचित्र पंतगों को देखने का अवसर प्राप्त होता है.
बसन्त पंचमी के दिन माता शारदा का पूजन
Puja of Goddess Saraswati
माता शारदा के पूजन के लिये भी बसंत पंचमी का दिन विशेष शुभ रहता है. इस दिन 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को पीले-मीठे चावलों का भोजन कराया जाता है. तथा उनकी पूजा की जाती है. मां शारदा और कन्याओं का पूजन करने के बाद पीले रंग के वस्त्र और आभूषण कुमारी कन्याओ, निर्धनों व विप्रों को दिने से परिवार में ज्ञान, कला व सुख -शान्ति की वृ्द्धि होती है. इसके अतिरिक्त इस दिन पीले फूलों से शिवलिंग की पूजा करना भी विशेष शुभ माना जाता है.
बसंत पंचमी का मुहूर्त समय में उपयोग
Vasant Panchami, Use of Auspicious Time
बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्तों में शामिल किया जाता है. बसंत पंचमी के दिन शुभ कार्य जिसमें विवाह, भवन निर्माण, कूप निर्माण, फैक्ट्री आदि का शुभारम्भ, शिक्षा संस्थाओं का उद्धघाटन करने के लिये शुभ मुहूर्त के रुप में प्रयोग किया जाता है.
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